Thursday, December 24, 2009

कौन रास्ता कब चुने, उठता नहीं सवाल
जो जाने गंतव्य को, वो तो हुआ निहाल
प्यास बुझाने की कला, सिखलाती है प्यास
जिसकी जिसको प्यास है, वो पहुंचे उसके पास

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