Tuesday, December 22, 2009

परिक्रमा पर्वत की करते, श्याम सुन्दर का सुमिरन
पग पग पर प्रेरक, प्रेमास्पद, उन्नत पथ पर जीवन



श्वेत वस्त्र धारी वृक्षों से सजी धजी धरती गाये
मौनयुक्त होकर ही सुनने वाला उसको सुन पाए

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