Sunday, December 20, 2009

गिरिधर की लीला अमर, अमर कृपा का कोष
ले प्रसाद प्रभु प्रेम का, नित्य रहे संतोष
सब वैभव नंदलाल का, दिव्य-भव्य दरबार
मिल जुल कर जाग्रत करें लीला रस की धार

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