(स्थान- संवित साधनायन, अबू पर्वत, चित्र- अभय हर्ष )
जिसके होने से साँसों में बजती है सार की शहनाई
हर तरफ उसी की अदृश्य उपस्थिति देती है दिखाई
Saturday, February 27, 2010
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... बहुत खूब!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteअनुपम चित्र ने हर्षित कर दिया है.
आपके दिव्य शब्दों ने 'अभय'और 'अशोक' कर दिया है.
आभार.