Saturday, November 28, 2009

सीमा से परे के स्वरुप का परिचय करवा कर असीम प्यार लुटाया
स्वामी विवेकानंद ने विराट के स्वर से जन जन को जाग्रत करवाया

युग युग से अनंत के स्वरुप, मानव मन को छू जाते
इस तरह वो हमें अपनाते या शायद हम उन्हें अपनाते

No comments:

Post a Comment