सीढियां
वहीं रहती हैं
क्या सोचती होंगी
वहीं रहती हैं
क्या सोचती होंगी
चढ़ते उतरते लोगों के बारे में
और हम तो शायद तैयार ही हैं हमेशा पत्ते भी जाने से पहले रंग बदल लेते हैं अपना
जहा हैं वहां से चल देने के लिए
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